नई दिल्ली: विपक्षी दलों ने हाल ही में चुनाव आयोग और इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (EVM) की विश्वसनीयता पर गंभीर प्रश्न उठाए हैं। इन दलों का आरोप है कि ईवीएम के माध्यम से चुनावी प्रक्रिया में धांधली की जा रही है, जिससे लोकतांत्रिक संस्थाओं की निष्पक्षता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है।
विपक्षी नेताओं का कहना है कि चुनाव आयोग, जो चुनावी प्रक्रिया की देखरेख करता है, ने ईवीएम के इस्तेमाल में पारदर्शिता बनाए रखने में असफलता दिखाई है। उनका मानना है कि यह स्थिति न केवल चुनावी परिणामों को प्रभावित कर सकती है, बल्कि इससे आम जनता के विश्वास में भी कमी आ सकती है।
विपक्षी नेताओं ने चुनाव आयोग पर साधा निशाना
कई विपक्षी नेताओं ने चुनाव आयोग की भूमिका पर सीधा निशाना साधा है। उनका कहना है कि आयोग सत्ता में मौजूद दलों के पक्ष में काम कर रहा है, जिससे चुनावी प्रक्रिया की निष्पक्षता पर सवाल खड़े हो रहे हैं। विपक्ष लंबे समय से ईवीएम की जगह बैलट पेपर से चुनाव कराने की मांग कर रहा है, ताकि चुनाव प्रक्रिया को और अधिक पारदर्शी बनाया जा सके। इन आरोपों के बीच, चुनाव आयोग ने लगातार यह दोहराया है कि ईवीएम पूरी तरह सुरक्षित और विश्वसनीय हैं। आयोग ने ईवीएम के साथ छेड़छाड़ की किसी भी संभावना को खारिज किया है। इसके बावजूद, विपक्ष ने ईवीएम और चुनाव आयोग की भूमिका पर सवाल उठाकर इस मुद्दे को प्रमुख राजनीतिक बहस का हिस्सा बना दिया है। विपक्षी दलों का कहना है कि देश की लोकतांत्रिक संस्थाओं की स्वतंत्रता और साख पर चोट पहुंचाई जा रही है। इसके साथ ही, उन्होंने चुनाव आयोग से निष्पक्षता बनाए रखने की अपील की है।
चुनावी प्रक्रिया पर जनता में संशय की स्थिति उत्पन्न
वहीं, सत्ताधारी दलों ने विपक्ष के इन आरोपों को बेबुनियाद बताया है और ईवीएम की सुरक्षा पर भरोसा जताया है। उन्होंने कहा है कि विपक्ष हार की हताशा में इस तरह के आरोप लगा रहा है। ईवीएम और चुनाव आयोग को लेकर हो रही इस राजनीतिक खींचतान के बीच, देश की चुनावी प्रक्रिया को लेकर आम जनता के बीच भी संशय की स्थिति उत्पन्न हो गई है।