बहराइच में मूर्ति विसर्जन के दौरान हिंसा: रामगोपाल की बर्बर हत्या, शरीर से 35 से अधिक छर्रे बरामद

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बहराइच, उत्तर प्रदेश: बहराइच जिले के महाराजगंज कस्बे में मूर्ति विसर्जन के दौरान हुई हिंसा ने पूरे क्षेत्र में दहशत और सन्नाटा बिखेर दिया है। इस भयानक घटना में रामगोपाल नामक व्यक्ति की निर्मम हत्या ने सभी को स्तब्ध कर दिया है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट और प्रत्यक्षदर्शियों के बयान इस घटना की भयावहता को बखूबी दर्शाते हैं। रिपोर्ट से स्पष्ट होता है कि रामगोपाल के शरीर पर हुए हमले की क्रूरता का अंदाजा लगाया जा सकता है, जो समाज में व्याप्त हिंसा और असहिष्णुता का एक और उदाहरण है। इस मामले ने न केवल स्थानीय निवासियों में आक्रोश पैदा किया है, बल्कि यह धार्मिक भावनाओं और सामाजिक सद्भाव के प्रति गंभीर चिंताओं को भी उजागर करता है।

घटना की शुरुआत: डीजे बजाने पर विवाद

यह घटना रविवार रात को हुई, जब महाराजगंज कस्बे में मूर्ति विसर्जन का जुलूस निकाला जा रहा था। जुलूस में डीजे बज रहा था और इसी बीच दूसरे समुदाय के कुछ लोगों ने डीजे बजाने पर आपत्ति जताई। उन्होंने विसर्जन जुलूस में शामिल लोगों से डीजे बंद करने की मांग की। जब जुलूस के लोग इस मांग को मानने से इंकार कर दिया, तो तनाव बढ़ गया। इसी दौरान, एक धार्मिक स्थल से पथराव शुरू हो गया, जिससे स्थिति और भी गंभीर हो गई।

प्रतिशोध और हिंसा का फैलाव

पथराव के बाद विवाद और अधिक भड़क उठा। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, इस दौरान एक युवक ने मूर्ति पर लगा झंडा खींचकर फाड़ दिया, जिसके बाद रामगोपाल ने प्रतिशोध में एक घर की छत पर चढ़कर वहां लगे हरे झंडे को नोचने की कोशिश की। इसी तनावपूर्ण माहौल में पुलिस ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए लाठीचार्ज किया, जिससे भीड़ इधर-उधर भागने लगी। इसी भगदड़ में रामगोपाल अकेला पड़ गया और उसे सलमान और हमीद नामक व्यक्तियों ने पकड़ लिया।

बर्बरता की चरम सीमा पार 

सूत्रों के अनुसार, हमीद और सलमान ने रामगोपाल को पकड़कर उसके पैर के दोनों अंगूठों के नाखून प्लास से नोच दिए। जब यह हिंसा चल रही थी, तभी भीड़ ने शोर मचाना शुरू किया। इस पर हमलावर घबरा गए और सलमान ने 12 बोर की बंदूक से रामगोपाल के सीने में गोली मार दी, जिससे उसका सीना छलनी हो गया।

पोस्टमार्टम रिपोर्ट और पुलिस जांच

पोस्टमार्टम रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि रामगोपाल के शरीर से 35 से अधिक छर्रे निकले हैं, जो उसकी मौत का कारण बने। घटना के बाद पुलिस ने किसी तरह रामगोपाल को हमलावरों के घर से बाहर निकाला और जिला अस्पताल में भर्ती कराया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। पुलिस की कई टीमें इस मामले की जांच कर रही हैं। प्रारंभिक जांच में यह स्पष्ट हुआ है कि रामगोपाल के साथ हुई इस बर्बरता ने पूरे इलाके में आक्रोश पैदा कर दिया है।

रोते-बिलखते परिजन

समाज में बढ़ती असहिष्णुता 

यह घटना न केवल धार्मिक असहिष्णुता का परिणाम है, बल्कि समाज में फैलती हिंसा और क्रूरता का भी प्रतीक है। स्थानीय लोगों और राजनीतिक नेताओं ने इस घटना की कड़ी निंदा की है और दोषियों को कठोर सजा दिलाने की मांग की है। साथ ही, पुलिस प्रशासन से अनुरोध किया गया है कि वह क्षेत्र में शांति और सौहार्द बनाए रखने के लिए आवश्यक कदम उठाए। 

रामगोपाल की निर्मम हत्या ने पूरे क्षेत्र को हिला कर रख दिया है। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि प्रशासन इस मामले में क्या कार्रवाई करता है और कैसे वह समाज में शांति और न्याय सुनिश्चित करता है। यह घटना हम सभी के लिए एक चेतावनी है कि धार्मिक सहिष्णुता और आपसी भाईचारा समाज के लिए कितना आवश्यक है। ऐसे विवादों को हिंसा में बदलने से रोकना ही समाज के कल्याण के लिए आवश्यक है।

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