भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में कश्मीर मुद्दे को उठाने और गलत सूचना फैलाने के लिए पाकिस्तान की कड़ी आलोचना की है। भारत के स्थायी प्रतिनिधि, पार्वथानेनी हरीश ने पाकिस्तान की दुष्प्रचार और शरारती नीतियों पर सवाल उठाए। हरीश ने यूएनएससी की बहस में पाकिस्तान के कदम को “शरारतपूर्ण उकसावे” का प्रयास बताते हुए इसे निंदनीय करार दिया। उन्होंने कहा कि यह महत्वपूर्ण बहस में राजनीतिक प्रचार करने का अनुचित प्रयास है।
महिलाओं की स्थिति पर पाकिस्तान को आड़े हाथों लिया
महिलाओं पर हो रही यूएनएससी की बहस के दौरान, हरीश ने पाकिस्तान में अल्पसंख्यक समुदायों की महिलाओं की दयनीय स्थिति पर प्रकाश डाला। उन्होंने पाकिस्तान के मानवाधिकार आयोग के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि हर साल लगभग एक हजार अल्पसंख्यक महिलाएं वहां अपहरण, जबरन धर्म परिवर्तन और विवाह का शिकार होती हैं। हरीश ने इस मुद्दे पर पाकिस्तान को लताड़ लगाते हुए कहा कि वहां अल्पसंख्यक समुदायों, विशेषकर हिंदू, सिख और ईसाई महिलाओं की स्थिति बेहद दयनीय है।
महिलाओं की भागीदारी पर भारत का समर्थन
हरीश ने यूएनएससी के महिला, शांति और सुरक्षा एजेंडे के प्रति भारत की अटूट प्रतिबद्धता की पुष्टि की। उन्होंने लाइबेरिया में 2007 में भारत द्वारा पहली बार महिला पुलिस यूनिट की तैनाती का जिक्र करते हुए कहा कि भारत ने शांति अभियानों में महिलाओं की भागीदारी को लगातार बढ़ावा दिया है। वर्तमान में, 100 से अधिक भारतीय महिला शांति सैनिक विश्वभर में सेवा दे रही हैं, जो शांति की स्थापना में एक महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं।
महिला आरक्षण विधेयक और टेक्नोलॉजी का उपयोग
भारत के स्थायी प्रतिनिधि ने घरेलू स्तर पर महिला सशक्तिकरण की दिशा में उठाए गए कदमों की भी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि 2023 में पारित महिला आरक्षण विधेयक के जरिए भारत ने राष्ट्रीय और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए एक तिहाई सीटें आरक्षित की हैं, जिससे महिलाओं की राजनीतिक भागीदारी को बढ़ावा मिला है।
इसके साथ ही, हरीश ने तेजी से बदलते वैश्विक परिदृश्य में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए तकनीकी नवाचारों का उपयोग करने का आह्वान किया। उन्होंने ग्रामीण भारत में डिजिटल तकनीकों के उपयोग का उल्लेख करते हुए कहा कि महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए यह एक कारगर उपाय है।
हरीश ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील की कि वे ऑनलाइन खतरों और गलत सूचनाओं से महिलाओं को सुरक्षित रखते हुए उनकी भागीदारी बढ़ाने के लिए प्रभावी तंत्र विकसित करें।