कार्तिक पूर्णिमा: पौराणिक कथाओं और शुभ संयोगों के साथ विशेष धार्मिक पर्व

Date:

हिंदू धर्म में कार्तिक पूर्णिमा का अत्यंत महत्व है। इस दिन भगवान विष्णु और भगवान शिव की पूजा की जाती है और इसके धार्मिक, पौराणिक एवं ज्योतिषीय महत्त्व को समझने के लिए विशेष प्रथाओं का पालन किया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इसी दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर राक्षस का वध किया था, जिससे देवताओं को राहत मिली थी। इसलिए इस दिन को त्रिपुरारी पूर्णिमा भी कहते हैं, जो भक्तों के लिए अत्यधिक फलदायी मानी जाती है।

इस दिन पूजा-अर्चना, स्नान-दान और गंगा स्नान करने से कई जन्मों के पापों का नाश होता है और सभी कष्ट दूर होते हैं। इसके अतिरिक्त, इस बार कार्तिक पूर्णिमा पर दो अत्यंत शुभ संयोग बने हैं। इन संयोगों में पूजा करने से हर कार्य में सफलता प्राप्त होती है और विशेष पुण्य मिलता है।

इस कार्तिक पूर्णिमा पर बने हैं शुभ संयोग

इस कार्तिक पूर्णिमा पर ग्रहों की स्थिति अत्यधिक लाभदायक मानी जा रही है। इस दिन चंद्रमा और मंगल ग्रह एक-दूसरे की राशियों में होंगे और साथ ही राशि परिवर्तन योग का निर्माण करेंगे। इसके अलावा, इस दिन गजकेसरी योग और बुधादित्य राजयोग भी बन रहे हैं, जो इसे अत्यधिक शुभ बनाते हैं। विशेष बात यह है कि इस बार कार्तिक पूर्णिमा पर शश राजयोग का भी संयोग बना हुआ है। इसी दिन शनि देव अपनी राशि कुंभ में मार्गी हो रहे हैं। इन सभी संयोगों में किया गया दान सौ गुना फल देता है और आर्थिक कष्टों का निवारण होता है।

कार्तिक पूर्णिमा पर पूजा का शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार, कार्तिक पूर्णिमा का आरंभ 15 नवंबर को प्रातः 06:19 बजे होगा और इसका समापन 16 नवंबर को सुबह 02:58 बजे होगा। इस दिन स्नान और दान का शुभ मुहूर्त सुबह 04:58 से 05:51 बजे तक है। सत्यनारायण भगवान की पूजा का समय सुबह 06:44 बजे से 10:45 बजे तक रहेगा।

  • स्नान-दान का शुभ मुहूर्त: सुबह 04:58 से 05:51 बजे तक
  • सत्यनारायण पूजा का शुभ समय: सुबह 06:44 से 10:45 बजे तक
  • प्रदोष काल में देव दीपावली का मुहूर्त: शाम 05:10 से रात 07:47 बजे तक
  • लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त: रात 11:39 से 12:33 बजे तक

सत्यनारायण कथा के लाभ

कार्तिक पूर्णिमा पर सत्यनारायण भगवान की पूजा करने का विशेष महत्व है। पद्म पुराण के अनुसार, इस दिन सत्यनारायण भगवान की कथा सुनने से घर की शुद्धि होती है और नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है। इस दिन भगवान की पूजा करने से ग्रह दशाएं अनुकूल होती हैं और आर्थिक स्थिति में सुधार होता है। मां लक्ष्मी की कृपा से परिवार के सभी सदस्य उन्नति प्राप्त करते हैं।

कार्तिक पूर्णिमा पूजाविधि

हिंदू धर्म में कार्तिक पूर्णिमा पर गंगा स्नान, दीपदान और यज्ञ करना अत्यंत शुभ माना जाता है। प्रातः जल्दी उठकर व्रत का संकल्प लें और किसी पवित्र नदी, सरोवर या कुंड में स्नान करें। यदि नदी स्नान संभव न हो, तो घर के स्नान जल में गंगाजल मिलाकर स्नान करें। स्नान के बाद मंदिरों और सरोवरों में दीप जलाएं और भगवान विष्णु तथा माता लक्ष्मी की विशेष पूजा करें। विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें और भगवान की विशेष सामग्री से पूजन करें।

साथ ही भगवान शिव की पूजा भी इस दिन फलदायी मानी जाती है। शिवलिंग पर जल अर्पित करें। सांयकाल में घरों, मंदिरों, पीपल के वृक्ष और तुलसी के पौधों के पास दीप प्रज्वलित करें तथा पवित्र नदियों में दीपदान करें। रात्रि के समय चंद्रमा की पूजा करें और गाय को भोजन अर्पित करें।

देव दिवाली का महत्व

कार्तिक पूर्णिमा को देव दिवाली का विशेष पर्व भी मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन सभी देवी-देवता स्वर्ग से पृथ्वी पर आते हैं और नदियों के किनारे दीप प्रज्वलित कर देव दिवाली मनाते हैं। इसे देवताओं की दिवाली के रूप में भी जाना जाता है और भक्तों के लिए यह पुण्य फल प्राप्त करने का सुनहरा अवसर है।

कार्तिक पूर्णिमा का यह पर्व धार्मिक दृष्टिकोण से अत्यंत लाभकारी है। इस दिन पूजा, स्नान, दान और दीपदान के माध्यम से व्यक्ति को कई जन्मों के पापों से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन होता है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Share post:

Subscribe

spot_imgspot_img

Popular

More like this
Related

पीएम मोदी की नाइजीरिया, ब्राजील और गुयाना यात्रा: रणनीतिक साझेदारी को मिलेगी नई ऊंचाई

अबुजा: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी तीन देशों की यात्रा...

थायराइड: शरीर का छोटा ग्लैंड जो बिगाड़ सकता है बड़ी सेहत 

थायराइड का नाम सुनते ही अक्सर मोटापा, थकान या...

झांसी मेडिकल कॉलेज अग्निकांड: 10 नवजातों की मौत, 16 झुलसे, परिवारों में कोहराम

झांसी, उत्तर प्रदेश: शुक्रवार रात महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज...