शारदीय नवरात्र: मां सिद्धिदात्री की पूजा से होगी हर कठिन कार्य में सिद्धि की प्राप्ति

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शारदीय नवरात्रि का अंतिम चरण आते ही भक्तों में महा नवमी की पूजा को लेकर उत्साह बढ़ जाता है। नवरात्र के नौवें दिन, मां सिद्धिदात्री की आराधना का विशेष महत्व है। 2024 में नवमी तिथि का शुभारंभ 11 अक्टूबर को दोपहर 12 बजकर 7 मिनट से होगा और इसका समापन 12 अक्टूबर को सुबह 10 बजकर 58 मिनट पर होगा। इस पावन अवसर पर, श्रद्धालु मां सिद्धिदात्री की विशेष पूजा करते हैं।

मां सिद्धिदात्री की शक्ति और स्वरूप

मां सिद्धिदात्री को सिद्धियों की देवी कहा जाता है। इनकी उपासना करने से भक्त को जीवन के हर क्षेत्र में सफलता, समृद्धि और शांति का वरदान मिलता है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, मां सिद्धिदात्री अष्टसिद्धियों की अधिष्ठात्री हैं, जिनमें अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व, और वशित्व शामिल हैं। इन सिद्धियों से साधक अपने जीवन की हर बाधा को पार कर सकता है और आध्यात्मिक रूप से प्रगति कर सकता है।

मां सिद्धिदात्री का दिव्य रूप चार भुजाओं में सुशोभित होता है। उनके दाहिने हाथों में चक्र और गदा होते हैं, जबकि बाएं हाथों में शंख और कमल का पुष्प विराजमान होते हैं। उनका वाहन सिंह है, जो उनकी शक्ति और साहस का प्रतीक है। कई चित्रों और मूर्तियों में मां को कमल के पुष्प पर बैठे हुए दिखाया गया है, जो उनकी शांति और दिव्यता को दर्शाता है।

मां सिद्धिदात्री की उपासना का फल: सभी समस्याओं का समाधान

धार्मिक मान्यता के अनुसार, मां सिद्धिदात्री की पूजा से सभी देवी-देवताओं की कृपा स्वतः प्राप्त हो जाती है। भक्तों का विश्वास है कि इस दिन मां की आराधना से उनके जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन होता है और सभी कष्टों का नाश होता है। विशेष रूप से, यह दिन साधकों के लिए बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि वे इस दिन अपनी साधना और तप का पूर्ण फल प्राप्त करते हैं।

पौराणिक कथाओं में वर्णित है कि भगवान शिव ने भी मां सिद्धिदात्री की आराधना से अष्टसिद्धियों को प्राप्त किया था। उन्हीं की कृपा से भगवान शिव का आधा शरीर देवी का हुआ, जिसे ‘अर्द्धनारीश्वर’ के रूप में जाना जाता है। इस कथा से यह स्पष्ट होता है कि मां सिद्धिदात्री की कृपा से साधारण व्यक्ति भी अद्भुत शक्तियों का अनुभव कर सकता है और हर असंभव कार्य को संभव बना सकता है।

नवरात्रि के समापन पर महा नवमी का महत्व

नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा होती है और महा नवमी पर मां सिद्धिदात्री की विशेष आराधना की जाती है। यह दिन साधकों और भक्तों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि इस दिन उन्हें अपने तप, जप और पूजा का आशीर्वाद मिलता है। मां सिद्धिदात्री की कृपा से भक्तों को शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है और उनके जीवन में सुख-समृद्धि का वास होता है।

महा नवमी के दिन कन्या पूजन का भी विशेष महत्व है। इस दिन लोग नौ कन्याओं को देवी का रूप मानकर उनका पूजन और भोग करते हैं। ऐसा माना जाता है कि कन्या पूजन करने से मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं और भक्तों को उनकी कृपा प्राप्त होती है।

मां सिद्धिदात्री की आराधना का विधान

महा नवमी पर मां सिद्धिदात्री की पूजा के लिए शास्त्रीय विधि-विधान का पालन किया जाता है। इस दिन मां की मूर्ति या चित्र के सामने दीपक जलाकर उनकी पूजा की जाती है। उन्हें फूल, धूप, चंदन, और मिठाई अर्पित की जाती है। साथ ही, मां की कृपा पाने के लिए ‘सिद्धिदात्री स्तोत्र’ का पाठ भी किया जाता है। इस दिन व्रत रखकर मां की उपासना करने से साधक को सभी सिद्धियों की प्राप्ति होती है और उसकी हर मनोकामना पूर्ण होती है।

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