नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के मदरसों को लेकर अहम फैसला सुनाया है। मंगलवार को शीर्ष अदालत ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के उस फैसले को पलट दिया, जिसमें मदरसा शिक्षा बोर्ड एक्ट, 2004 को असंवैधानिक करार दिया गया था। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने यह निर्णय सुनाते हुए कहा कि मदरसा शिक्षा बोर्ड का एक्ट संवैधानिक है।
इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने 22 मार्च, 2024 को अपने फैसले में यूपी मदरसा एक्ट को संविधान के मौलिक ढांचे के खिलाफ बताया था और सभी मदरसा छात्रों को सामान्य स्कूलों में दाखिला देने का आदेश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने 5 अप्रैल को हाई कोर्ट के फैसले पर अंतरिम रोक लगाई थी और लगभग 17 लाख मदरसा छात्रों को राहत दी थी।
मदरसा शिक्षा के संवैधानिक पहलू
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि राज्य सरकार को शिक्षा के क्षेत्र में कानून बनाने का अधिकार है, जिसमें सिलेबस और छात्रों के स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दे भी शामिल हैं। हालांकि, किसी भी छात्र को धार्मिक शिक्षा लेने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि मदरसे मजहबी शिक्षा प्रदान करते हैं, लेकिन इनका मुख्य उद्देश्य शिक्षा देना है।
डिग्री देने का अधिकार वापस लिया गया
सुप्रीम कोर्ट ने मदरसा बोर्ड द्वारा दी जाने वाली डिग्रियों जैसे फाजिल और कामिल को असंवैधानिक करार दिया और कहा कि यह यूजीसी एक्ट का उल्लंघन है। अदालत ने निर्देश दिया कि मदरसा बोर्ड को अब डिग्री देने का अधिकार नहीं होगा, लेकिन बाकी एक्ट को संवैधानिक मान्यता दी गई है।
इलाहाबाद हाई कोर्ट का आदेश खारिज
हाई कोर्ट ने यूपी सरकार को निर्देश दिया था कि मदरसों के छात्रों को औपचारिक शिक्षा प्रणाली में शामिल किया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने इस आदेश को खारिज करते हुए कहा कि मदरसों को सेक्युलर शिक्षा भी प्रदान करने की अनुमति दी जा सकती है, लेकिन इसका धार्मिक चरित्र प्रभावित नहीं होना चाहिए।
उत्तर प्रदेश में मदरसों की स्थिति
उत्तर प्रदेश में वर्तमान में लगभग 25 हजार मदरसे संचालित हो रहे हैं, जिनमें से 16,500 मदरसों को राज्य मदरसा शिक्षा परिषद से मान्यता प्राप्त है। इनमें से 560 मदरसे सरकारी अनुदान पर चलते हैं, जबकि करीब 8500 मदरसे गैर-मान्यता प्राप्त हैं।
फैसले का प्रभाव
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला न केवल उत्तर प्रदेश के मदरसा छात्रों के लिए राहत भरा है, बल्कि इससे राज्य में मदरसा शिक्षा का भविष्य भी सुनिश्चित होता है।