महाराष्ट्र चुनाव से पहले शरद पवार का संन्यास का संकेत, कहा – ‘अब नई पीढ़ी को सौंपनी होगी जिम्मेदारी’

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मुंबई: महाराष्ट्र चुनाव से पहले राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के प्रमुख शरद पवार ने अपने संन्यास के संकेत दिए हैं। उन्होंने बारामती में युगेंद्र पवार की चुनावी रैली में अपने राजनीतिक संन्यास की बातों पर चर्चा करते हुए कहा कि वह 14 बार चुनाव लड़ चुके हैं और अब आगे चुनाव नहीं लड़ना चाहते। पवार ने कहा, “कहीं तो रुकना ही होगा। अब नई पीढ़ी को जिम्मेदारी सौंपने का समय आ गया है।”

राज्यसभा का कार्यकाल समाप्त होने के बाद नहीं लड़ेंगे चुनाव
शरद पवार ने कहा कि वर्तमान में वह राज्यसभा के सदस्य हैं और उनका कार्यकाल डेढ़ साल में समाप्त हो जाएगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि उसके बाद वह राज्यसभा या लोकसभा का कोई भी चुनाव नहीं लड़ेंगे। उनका कहना है कि सत्ता का मोह नहीं है, लेकिन सामाजिक कार्यों में सक्रिय रहेंगे।

नई पीढ़ी को आगे लाने पर जोर
पवार ने कहा कि अब युवाओं को नेतृत्व में लाने का समय है। जिस तरह उन्होंने 30 साल पहले अजित पवार को बारामती की जिम्मेदारी सौंपी थी, उसी तरह अब युगेंद्र पवार जैसे नए नेतृत्व को प्रोत्साहित करना चाहिए। पवार ने कहा कि आने वाले 30 सालों के लिए बारामती में विकास के लिए एक नई व्यवस्था करनी होगी, जिसमें युवा नेता अहम भूमिका निभाएंगे।

बेटी सुप्रिया के बारे में दिया बयान
पवार ने अपनी बेटी सुप्रिया सुले को किसी पद पर नहीं रखने का उल्लेख करते हुए कहा, “मुझे अधिकार था कि मैं अपनी बेटी को कोई पद दूं, लेकिन मैंने उसे कभी पद नहीं दिया। उसने भी कभी पद नहीं मांगा। मेरा स्वभाव यही है कि परिवार एक रहे।” उन्होंने कहा कि अजित पवार को उपमुख्यमंत्री बनाया, लेकिन सुप्रिया सुले को किसी पद पर नहीं बिठाया।

महाराष्ट्र में 20 नवंबर को होगी वोटिंग
महाराष्ट्र में आगामी विधानसभा चुनाव 20 नवंबर को होंगे और 23 नवंबर को मतगणना होगी। 2019 के चुनावों में भाजपा ने 105 सीटें, शिवसेना ने 56 और कांग्रेस ने 44 सीटें जीती थीं। इस बार चुनाव के बीच शरद पवार के संन्यास के संकेत ने महाराष्ट्र की राजनीति में नई हलचल पैदा कर दी है।

नए नेतृत्व के लिए मंच तैयार
शरद पवार ने अपने भाषण में कहा कि पिछले 55 सालों से वह महाराष्ट्र की राजनीति में सक्रिय हैं। अब समय आ गया है कि नई पीढ़ी को मौका दिया जाए। उन्होंने यह भी संकेत दिया कि वह राजनीति से संन्यास लेने के बाद सामाजिक कार्य जारी रखेंगे, लेकिन सत्ता का मोह छोड़ चुके हैं।

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